जनजातीय संस्कृति: बस्तर क्षेत्र का व्यापक अध्ययन (Tribal Culture: Study of Bastar Region) Hindi
निवेदिता वर्मा (Nivedita Verma)
जनजातीय संस्कृति: बस्तर क्षेत्र का व्यापक अध्ययन (Tribal Culture: Study of Bastar Region) Hindi
निवेदिता वर्मा (Nivedita Verma)
15% Special Discount
765 900
ISBN9788131611388
Publication Year2022
Pages300 pages
BindingHardback
Sale TerritoryWorld
About the Book
बस्तर क्षेत्र अपनी जनजातीय संस्कृति से भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान रखता है। यहां के जनजातीय समूह ने अपने दीर्घकालीन इतिहास में अपनी संस्कृति को जिस प्रकार से विकसित किया एवं सहेज कर रखा है, वे सभी अपने अंदर इतिहास को समेटे हुए हैं। इस पुस्तक में इसी पुरातन किन्तु समृद्ध संस्कृति के इतिहास का सूक्ष्म अध्ययन कर नये-नये तथ्यों को सामने लाया गया है।
साहित्य एवं लिपि के अभाव में अधिकांश जनजातियों के इतिहास की जानकारी मुख्य रूप से उनके रीति-रिवाज, परम्पराओं, उनके मौखिक या वाचिक विभिन्न स्त्रोतों तथा उत्खनन से प्राप्त सामग्रियों से ही प्राप्त होती है। बस्तर की जनजातीय संस्कृति के तत्कालीन परिवेश की जानकारी उनकी लोककला, विभिन्न त्योहारों एवं रीति-रिवाजों की प्रत्येक कड़ी से मिलती है। माड़िया जनजाति में मृत्यु उपरांत बनाए जाने वाले मृतक स्तम्भ या ’उर्सकल’ हमें आज भी महापाषाणी संस्कृति की याद दिलाते हैं।
इसके साथ-साथ इस पुस्तक में बस्तर की जनजातीय संस्कृति का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। इस तुलनात्मक अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि भौगोलिक परिस्थितियों के कारण दोनों स्थानों की संस्कृति में विभिन्नता है। परन्तु, कई बिन्दुओं पर जैसे परिवार, नातेदारी की समाज में उपस्थिति, जातीय पंचायत, नृत्य-संगीत, कला इत्यादि के विकास में एकरूपता दिखती है।
इस पुस्तक में शोध एवं विस्तृत अध्ययन के आधार पर बस्तर की जनजातीय संस्कृति से प्राप्त जानकारी से मानव सभ्यता के कई युगों की यात्रा के इतिहास का प्रत्यक्षीकरण किया गया है। इनकी संस्कृति की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के अध्ययन से जनजातीय संस्कृति का पुरातन इतिहास दृष्टिगोचर होता है।
Contents
1बस्तरः एक परिचय
2बस्तर की जनजातियाँ एवं उनकी सामाजिक संरचना
3बस्तर की जनजातीय संस्कृति में ऐतिहासिकता
4बस्तर के प्रमुख उत्सव एवं मेले-मड़ई
5बस्तर की जनजातीय संस्कृति का व्यापक अध्ययन
About the Author / Editor
निवेदिता वर्मा ने पी.एच.डी. (इतिहास), पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, एम.ए. (इतिहास), रांची विश्वविद्यालय, रांची, ग्रामीण विकास में डिप्लोमा एवं फाइन आर्ट्स में भी उपाधि प्राप्त की है। अपने शोध हेतु उन्हें ’’भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद’’ (ICHR), नई दिल्ली द्वारा ’स्टडी कम टैंवल ग्रांट’ एवं ’’थीसिस पब्लिकेशन ग्रांट’’ प्राप्त हुआ है। विभिन्न शोध संगोष्ठियों में इन्होंने अपनी सहभागिता दी है, एवं कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में इनके शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं। इसी क्रम में ’’विद्या करियर रिसर्च फाउंडेशन’’ पन्ना, मध्यप्रदेश द्वारा इनके शोध पत्र को ’’बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड’’ दिया गया।
वर्तमान में वे स्कूल ऑफ क्रियेटिव फाईन आर्ट्स, भिलाई की संचालिका हैं। इनकी कई कला प्रदर्शनियां राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित हो चुकी हैं, जैसे - नीदरलैंड्स, लंदन, मालदीव, दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद एवं कोलकाता आदि स्थानों में। साथ ही उन्हें इस क्षेत्र में विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जैसे - दैनिक भास्कर द्वारा द्रोणाचार्य पुरस्कार, नेहरू कल्चरल पुरस्कार, वाग्देवी कला पुरस्कार, सरस्वती सम्मान, कलाश्री सम्मान, बापू सांस्कृतिक पुरस्कार, रवीन्द्र सम्मान आदि।
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